Mahashivratri [ महाशिवरात्रि ] एक ऐसी रात है जो आपके जीवन को पूरी तरह बदल सकती है । आखिर ऐसा क्या होता है इस रात ? और कैसे आपकी जिंदगी बदलेगी ? जानते है की इस रात का क्या रहस्य है ,हमे क्या करना चाहिए ,और एस करने से हमारे अंदर क्या बदलाव होगा।
Mahashivratri किस दिन मनाई जाती है :
हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़ गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था।
लेकिन ईशान संहिता ग्रंथ में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मध्य रात्रि में भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी।और इसी को महाशिवरात्रि कहा जाता है ।
इस रात का महत्व :
महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। इसलिए महाशिवरात्रि की रात सोना नहीं चाहिए। मान्यता है कि इससे जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं कुछ उपाय करने से भोलेनाथ आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं।
Mahashivratri की रात को क्या करना चाहिए :
इस रात मध्य रात्री में शिव जी पूरे शिवगणों के साथ धरती पे आते है ,या फिर हम कह सकते है की positive energy आती है । जो आपके लिए ग्रहण करना बहुत जरूरी होता है । इससे हर प्रकार की negativity दूर हो जाती है ।
इस दिन हमे व्रत रखना चाहिए या फिर कम से कम भोजन करना चाहिए । 12 बजे से 4:30 बजे तक तो जगन ही जाहिए कुछ productive काम करते हुए न की phone चलाते हुए जागना है । और रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रखनी चाहिए ताकि ये positive energy सीधे आपके सातों चक्रों से होते हुए आपके शरीर मे प्रवेश कर सके ।
कम से कम 3 बार 5 minute के लिए आपको बिल्कुल सीधे रह कर meditation करना है ,ये महसूस करना है की आपके अंदर भी सारी positivity या रही है । इसी एहसास को आप हर दिन अपने अंदर महसूस कीजिए । यही इस रात की खास बात है ।
Mahashivratri का व्रत कब तोड़ना है :
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत का पारण चतुर्थ रात्रि प्रहर पूजा के बाद सुबह 06:03 से दोपहर 02:48 के बीच किया जा सकता है।
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